Player FM - Internet Radio Done Right
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เนื้อหาจัดทำโดย Samskrita Bharati เนื้อหาพอดแคสต์ทั้งหมด รวมถึงตอน กราฟิก และคำอธิบายพอดแคสต์ได้รับการอัปโหลดและจัดหาให้โดยตรงจาก Samskrita Bharati หรือพันธมิตรแพลตฟอร์มพอดแคสต์ของพวกเขา หากคุณเชื่อว่ามีบุคคลอื่นใช้งานที่มีลิขสิทธิ์ของคุณโดยไม่ได้รับอนุญาต คุณสามารถปฏิบัติตามขั้นตอนที่แสดงไว้ที่นี่ https://th.player.fm/legal
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01-21-22
Manage episode 171534409 series 1319026
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https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-21-22-SBUSA-BG.mp3
…
continue reading
01-21
सेनयोरुपयोर्मध्ये सथं स्थापय मेऽच्युत॥ 01.21॥
पदच्छेतः
सेनयोः, उपयोः, मध्ये, रथम्, स्थापय, मे, अच्युत।
पदपरिचयः
पदम् | विवरणम् | पदम् | विवरणम् |
सेनयोः | आ. स्त्री. ष. द्विव. | उपयोः | आ. स्त्री. ष. द्विव. |
मध्ये | अ. पुं. स. एक. | रथम् | अ. पुं. द्वि. एक. |
स्थापय | स्था-पर. कर्तरि. लोट् मपु. एक. | मे | अस्मद्-द. सर्व. ष. एक. |
अच्युत | अ. पुं. सम्बो. एक. |
पदार्थः
पदम् | अर्थः | पदम् | अर्थः |
अच्युत | हे कृष्ण! | सेनयोः | सैन्ययोः |
उपयोः | द्वयोः | मध्ये | अन्तरे |
मे | मम | रथम् | स्यन्दनम् |
स्थापय | नीत्वा स्थापय |
अन्वयः
अच्युत! सेनयोः उपयोः मध्ये मे रथं स्थापय।
आकाङ्क्षा
स्थापय | |
किं स्थापय? | सथं स्थापय। |
कस्य सथं स्थापय? | मे सथं स्थापय। |
कुत्र मे सथं स्थापय? | मध्ये मे सथं स्थापय। |
कयोः मध्ये मे सथं स्थापय? | उपयोः मध्ये मे सथं स्थापय। |
कयोः उपयोः मध्ये मे सथं स्थापय? | सेनयोः उपयोः मध्ये मे सथं स्थापय। |
अस्मिन् वाक्ये सम्बोधनपदं किम्? | अच्युत। |
तात्पर्यम्
हे कृष्ण! अनयोः कौरवपाण्डवसेनयोः मध्यभागे मम रथं स्थापय।
व्याकरणम्
सेनयोरुपयोर्मध्ये सथं स्थापय मेऽच्युत॥
सन्धिः
सेनयोरुपयोर्मध्ये | सेनयोः + उपयोः | विसर्गसन्धिः (रेफः)। |
उपयोः + मध्ये | विसर्गसन्धिः (रेफः)। | |
सथं स्थापय | रथम् + स्थापय | अनुस्वारसन्धिः। |
मेऽच्युत॥ | मे + अच्युत | पूर्वरूपसन्धिः। |
समासः
अच्युतः | न + च्युतः | नञ्-तत्पुरुष। |
01-22
यावदेतान्निरीक्षेऽहं योद्धुकामानवस्थितान्।
कैर्मया सह योद्धव्यमस्मिन्रणसमुद्यमे।।1.22।।
33 ตอน
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01-21
सेनयोरुपयोर्मध्ये सथं स्थापय मेऽच्युत॥ 01.21॥
पदच्छेतः
सेनयोः, उपयोः, मध्ये, रथम्, स्थापय, मे, अच्युत।
पदपरिचयः
पदम् | विवरणम् | पदम् | विवरणम् |
सेनयोः | आ. स्त्री. ष. द्विव. | उपयोः | आ. स्त्री. ष. द्विव. |
मध्ये | अ. पुं. स. एक. | रथम् | अ. पुं. द्वि. एक. |
स्थापय | स्था-पर. कर्तरि. लोट् मपु. एक. | मे | अस्मद्-द. सर्व. ष. एक. |
अच्युत | अ. पुं. सम्बो. एक. |
पदार्थः
पदम् | अर्थः | पदम् | अर्थः |
अच्युत | हे कृष्ण! | सेनयोः | सैन्ययोः |
उपयोः | द्वयोः | मध्ये | अन्तरे |
मे | मम | रथम् | स्यन्दनम् |
स्थापय | नीत्वा स्थापय |
अन्वयः
अच्युत! सेनयोः उपयोः मध्ये मे रथं स्थापय।
आकाङ्क्षा
स्थापय | |
किं स्थापय? | सथं स्थापय। |
कस्य सथं स्थापय? | मे सथं स्थापय। |
कुत्र मे सथं स्थापय? | मध्ये मे सथं स्थापय। |
कयोः मध्ये मे सथं स्थापय? | उपयोः मध्ये मे सथं स्थापय। |
कयोः उपयोः मध्ये मे सथं स्थापय? | सेनयोः उपयोः मध्ये मे सथं स्थापय। |
अस्मिन् वाक्ये सम्बोधनपदं किम्? | अच्युत। |
तात्पर्यम्
हे कृष्ण! अनयोः कौरवपाण्डवसेनयोः मध्यभागे मम रथं स्थापय।
व्याकरणम्
सेनयोरुपयोर्मध्ये सथं स्थापय मेऽच्युत॥
सन्धिः
सेनयोरुपयोर्मध्ये | सेनयोः + उपयोः | विसर्गसन्धिः (रेफः)। |
उपयोः + मध्ये | विसर्गसन्धिः (रेफः)। | |
सथं स्थापय | रथम् + स्थापय | अनुस्वारसन्धिः। |
मेऽच्युत॥ | मे + अच्युत | पूर्वरूपसन्धिः। |
समासः
अच्युतः | न + च्युतः | नञ्-तत्पुरुष। |
01-22
यावदेतान्निरीक्षेऽहं योद्धुकामानवस्थितान्।
कैर्मया सह योद्धव्यमस्मिन्रणसमुद्यमे।।1.22।।
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Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)
https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-47-SBUSA-BG.mp3 सञ्जय उवाच एवमुक्त्वाऽर्जुनः संख्ये रथोपस्थ उपाविशत्। विसृज्य सशरं चापं शोकसंविग्नमानसः।।1.47।।
B
Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)
https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-46-SBUSA-BG.mp3 यदि मामप्रतीकारमशस्त्रं शस्त्रपाणयः। धार्तराष्ट्रा रणे हन्युस्तन्मे क्षेमतरं भवेत्।।1.46।।
B
Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)
https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-45-SBUSA-BG.mp3 अहो बत महत्पापं कर्तुं व्यवसिता वयम्। यद्राज्यसुखलोभेन हन्तुं स्वजनमुद्यताः।।1.45।।
B
Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)
https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-44-SBUSA-BG.mp3 उत्सन्नकुलधर्माणां मनुष्याणां जनार्दन। नरकेऽनियतं वासो भवतीत्यनुशुश्रुम।।1.44।।
B
Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)
https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-43-SBUSA-BG.mp3 दोषैरेतैः कुलघ्नानां वर्णसङ्करकारकैः। उत्साद्यन्ते जातिधर्माः कुलधर्माश्च शाश्वताः।।1.43।।
B
Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)
https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-42-SBUSA-BG.mp3 सङ्करो नरकायैव कुलघ्नानां कुलस्य च। पतन्ति पितरो ह्येषां लुप्तपिण्डोदकक्रियाः।।1.42।।
B
Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)
https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-41-SBUSA-BG.mp3 अधर्माभिभवात्कृष्ण प्रदुष्यन्ति कुलस्त्रियः। स्त्रीषु दुष्टासु वार्ष्णेय जायते वर्णसङ्करः।।1.41।।
B
Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)
https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-40-SBUSA-BG.mp3 कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः। धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत।।1.40।।
B
Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)
https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-39-SBUSA-BG.mp3 कथं न ज्ञेयमस्माभिः पापादस्मान्निवर्तितुम्। कुलक्षयकृतं दोषं प्रपश्यद्भिर्जनार्दन।।1.39।।
B
Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)
https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-38-SBUSA-BG.mp3 यद्यप्येते न पश्यन्ति लोभोपहतचेतसः। कुलक्षयकृतं दोषं मित्रद्रोहे च पातकम्।।1.38।।
B
Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)
https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-37-SBUSA-BG.mp3 तस्मान्नार्हा वयं हन्तुं धार्तराष्ट्रान्स्वबान्धवान्। स्वजनं हि कथं हत्वा सुखिनः स्याम माधव।।1.37।।
B
Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)
https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-36-SBUSA-BG.mp3 निहत्य धार्तराष्ट्रान्नः का प्रीतिः स्याज्जनार्दन। पापमेवाश्रयेदस्मान्हत्वैतानाततायिनः।।1.36।।
B
Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)
https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-34-35-SBUSA-BG.mp3 आचार्याः पितरः पुत्रास्तथैव च पितामहाः। मातुलाः श्चशुराः पौत्राः श्यालाः सम्बन्धिनस्तथा।।1.34।। एतान्न हन्तुमिच्छामि घ्नतोऽपि मधुसूदन। अपि त्रैलोक्यराज्यस्य हेतोः किं नु महीकृते।।1.35।।
B
Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)
https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-31-33-SBUSA-BG.mp3 निमित्तानि च पश्यामि विपरीतानि केशव। न च श्रेयोऽनुपश्यामि हत्वा स्वजनमाहवे।।1.31।। न काङ्क्षे विजयं कृष्ण न च राज्यं सुखानि च। किं नो राज्येन गोविन्द किं भोगैर्जीवितेन वा।।1.32।। येषामर्थे काङ्क्षितं नो राज्यं भोगाः सुखानि च। त इमेऽवस्थिता युद्धे प्राणांस्त्यक्त्वा धनानि च।।1.33।।…
B
Bhagavad Gita Class (Ch1) in Sanskrit by Dr. K.N. Padmakumar (Samskrita Bharati)
https://archive.org/download/BhagavadGitaSanskrit/01-30-31-SBUSA-BG.mp3 गाण्डीवं स्रंसते हस्तात्त्वक्चैव परिदह्यते। न च शक्नोम्यवस्थातुं भ्रमतीव च मे मनः।।1.30।। निमित्तानि च पश्यामि विपरीतानि केशव। न च श्रेयोऽनुपश्यामि हत्वा स्वजनमाहवे।।1.31।।
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