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Krantipurush | Chitra Pawar

2:40
 
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क्रांतिपुरुष | चित्रा पँवार

कल रात सपने के बगीचे में हवाखोरी करते

भगत सिंह से मुलाकात हो गई

मैंने पूछा शहीव-ए-आज़म!

तुम क्रांतिकारी ना होते तो क्‍या होते?

वह ठहाका मारकर हँसे

फिर भी क्रांतिकारी ही होता पगली !

खेतों में धान त्रगाता

हल चलाता और भूख के विरुद्ध कर देता क्रांति

मगर सोचो अगर खेत भी ना होते तुम्हारे पास!

तब क्‍या करते!!

फिर,,ऐसे में कल्रम उठाता

निर्धन, मजबूर के हक़ हिस्से की मांग करता

रच देता कोई क्रांति गीत जमींदारों, मील मालिकों, सरकारों के जुल्मों के खिलाफ

मतलब कलम पाकर भी क्रान्तिकारी ही रहते?

हा हा हा बिलकुल!

जरा सोचो जब निर्धन की पक्षधर होने के जुर्म में

छीन ली जाती तुम्हारी कलम

तब क्या करते क्रांतिकारी जी!

तब,, तब तो एक ही मार्ग शेष बचता मेरे पास

मैं क्रांतिपुरुष

सभी क्रांतियों की मां यानी प्रेम की शरण में बैठ

बन जाता तुम्हारे जैसी किसी पागल लड़की का प्रेमी

तथा प्रेम को पृथ्वी का एकमात्र धर्म, एकमात्र जाति,

एकमात्र वर्ग घोषित करने के पक्ष में छेड़ देता क्रान्ति...

  continue reading

404 ตอน

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कल रात सपने के बगीचे में हवाखोरी करते

भगत सिंह से मुलाकात हो गई

मैंने पूछा शहीव-ए-आज़म!

तुम क्रांतिकारी ना होते तो क्‍या होते?

वह ठहाका मारकर हँसे

फिर भी क्रांतिकारी ही होता पगली !

खेतों में धान त्रगाता

हल चलाता और भूख के विरुद्ध कर देता क्रांति

मगर सोचो अगर खेत भी ना होते तुम्हारे पास!

तब क्‍या करते!!

फिर,,ऐसे में कल्रम उठाता

निर्धन, मजबूर के हक़ हिस्से की मांग करता

रच देता कोई क्रांति गीत जमींदारों, मील मालिकों, सरकारों के जुल्मों के खिलाफ

मतलब कलम पाकर भी क्रान्तिकारी ही रहते?

हा हा हा बिलकुल!

जरा सोचो जब निर्धन की पक्षधर होने के जुर्म में

छीन ली जाती तुम्हारी कलम

तब क्या करते क्रांतिकारी जी!

तब,, तब तो एक ही मार्ग शेष बचता मेरे पास

मैं क्रांतिपुरुष

सभी क्रांतियों की मां यानी प्रेम की शरण में बैठ

बन जाता तुम्हारे जैसी किसी पागल लड़की का प्रेमी

तथा प्रेम को पृथ्वी का एकमात्र धर्म, एकमात्र जाति,

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