Artwork

เนื้อหาจัดทำโดย Swami Atmananda Saraswati เนื้อหาพอดแคสต์ทั้งหมด รวมถึงตอน กราฟิก และคำอธิบายพอดแคสต์ได้รับการอัปโหลดและจัดหาให้โดยตรงจาก Swami Atmananda Saraswati หรือพันธมิตรแพลตฟอร์มพอดแคสต์ของพวกเขา หากคุณเชื่อว่ามีบุคคลอื่นใช้งานที่มีลิขสิทธิ์ของคุณโดยไม่ได้รับอนุญาต คุณสามารถปฏิบัติตามขั้นตอนที่แสดงไว้ที่นี่ https://th.player.fm/legal
Player FM - แอป Podcast
ออฟไลน์ด้วยแอป Player FM !

Atma-Bodha Lesson # 51 :

30:32
 
แบ่งปัน
 

Manage episode 318219337 series 3091016
เนื้อหาจัดทำโดย Swami Atmananda Saraswati เนื้อหาพอดแคสต์ทั้งหมด รวมถึงตอน กราฟิก และคำอธิบายพอดแคสต์ได้รับการอัปโหลดและจัดหาให้โดยตรงจาก Swami Atmananda Saraswati หรือพันธมิตรแพลตฟอร์มพอดแคสต์ของพวกเขา หากคุณเชื่อว่ามีบุคคลอื่นใช้งานที่มีลิขสิทธิ์ของคุณโดยไม่ได้รับอนุญาต คุณสามารถปฏิบัติตามขั้นตอนที่แสดงไว้ที่นี่ https://th.player.fm/legal

आत्म-बोध के 51st श्लोक में आचार्यश्री हमें जीवन्मुक्त के कुछ और लक्षण देते हैं। वे कहते हैं की जीवन्मुक्त की जीवन की यात्रा में सर्वप्रथम यह जाना की जो भी बाहरी - अर्थात इन्द्रियग्राह्य वस्तुएँ होती हैं वे सब अनित्य होती हैं। इनके ऊपर निर्भर होना इनसे आसक्ति हो जाना ही समस्त दुःख का मूल होता है। इसलिए वेदान्त के अधिकारी में वैराग्य होना चाहिए। भगवान् शंकराचार्य भी आग्रह पूर्वक कहते हैं की बिना संन्यास के ब्रह्म-विद्या प्राप्त नहीं हो सकती है। जब हम सभी बाह्य चीज़ों से आसक्ति दूर कर देते हैं, तभी आत्म-ज्ञान का मार्ग प्रशस्त होता है। वो आत्मा को नित्य जान जाता है। वो ही सत्य है, शास्वत है, आनन्दस्वरूप है - वो ही हम हैं। ऐसा व्यक्ति ही वास्तविक रूप से स्वस्थ है - जैसे एक घड़े के अंदर दीपक स्थित है और खुद भी प्रकाशित हो रहा है और समस्त बाहरी वस्तुओं को भी प्रकाशित कर रहा है।

इस पाठ के प्रश्न :

  • १. बाहरी वस्तुओं में सुखानुभूति कैसे होती है ?
  • २. बाहरी और अंदर किस दृष्टी से होता है ?
  • ३. मन में कुछ आसक्तियाँ बनी रहें - तो क्या हम आत्मबोध प्राप्त कर सकते हैं की नहीं ?

Send your answers to : vmol.courses-at-gmail-dot-com

  continue reading

79 ตอน

Artwork
iconแบ่งปัน
 
Manage episode 318219337 series 3091016
เนื้อหาจัดทำโดย Swami Atmananda Saraswati เนื้อหาพอดแคสต์ทั้งหมด รวมถึงตอน กราฟิก และคำอธิบายพอดแคสต์ได้รับการอัปโหลดและจัดหาให้โดยตรงจาก Swami Atmananda Saraswati หรือพันธมิตรแพลตฟอร์มพอดแคสต์ของพวกเขา หากคุณเชื่อว่ามีบุคคลอื่นใช้งานที่มีลิขสิทธิ์ของคุณโดยไม่ได้รับอนุญาต คุณสามารถปฏิบัติตามขั้นตอนที่แสดงไว้ที่นี่ https://th.player.fm/legal

आत्म-बोध के 51st श्लोक में आचार्यश्री हमें जीवन्मुक्त के कुछ और लक्षण देते हैं। वे कहते हैं की जीवन्मुक्त की जीवन की यात्रा में सर्वप्रथम यह जाना की जो भी बाहरी - अर्थात इन्द्रियग्राह्य वस्तुएँ होती हैं वे सब अनित्य होती हैं। इनके ऊपर निर्भर होना इनसे आसक्ति हो जाना ही समस्त दुःख का मूल होता है। इसलिए वेदान्त के अधिकारी में वैराग्य होना चाहिए। भगवान् शंकराचार्य भी आग्रह पूर्वक कहते हैं की बिना संन्यास के ब्रह्म-विद्या प्राप्त नहीं हो सकती है। जब हम सभी बाह्य चीज़ों से आसक्ति दूर कर देते हैं, तभी आत्म-ज्ञान का मार्ग प्रशस्त होता है। वो आत्मा को नित्य जान जाता है। वो ही सत्य है, शास्वत है, आनन्दस्वरूप है - वो ही हम हैं। ऐसा व्यक्ति ही वास्तविक रूप से स्वस्थ है - जैसे एक घड़े के अंदर दीपक स्थित है और खुद भी प्रकाशित हो रहा है और समस्त बाहरी वस्तुओं को भी प्रकाशित कर रहा है।

इस पाठ के प्रश्न :

  • १. बाहरी वस्तुओं में सुखानुभूति कैसे होती है ?
  • २. बाहरी और अंदर किस दृष्टी से होता है ?
  • ३. मन में कुछ आसक्तियाँ बनी रहें - तो क्या हम आत्मबोध प्राप्त कर सकते हैं की नहीं ?

Send your answers to : vmol.courses-at-gmail-dot-com

  continue reading

79 ตอน

ทุกตอน

×
 
Loading …

ขอต้อนรับสู่ Player FM!

Player FM กำลังหาเว็บ

 

คู่มืออ้างอิงด่วน